Not known Factual Statements About Shodashi

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एकान्ते योगिवृन्दैः प्रशमितकरणैः क्षुत्पिपासाविमुक्तैः

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा

She's honored by all gods, goddesses, and saints. In a few areas, she is depicted sporting a tiger’s skin, using a serpent wrapped around her neck and a trident in one of her fingers even though another retains a drum.

क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥

सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥

यस्याः Shodashi विश्वं समस्तं बहुतरविततं जायते कुण्डलिन्याः ।

ह्रीं‍श्रीर्मैं‍मन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा

The Tale is usually a cautionary tale of the strength of need and also the requirement to produce discrimination as a result of meditation and following the dharma, as we development within our spiritual route.

ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी

To the fifth auspicious day of Navaratri, the Lalita Panchami is celebrated since the legends say that this was the day in the event the Goddess emerged from hearth to get rid of the demon Bhandasura.

ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥

तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।

स्थेमानं प्रापयन्ती निजगुणविभवैः सर्वथा व्याप्य विश्वम् ।

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